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Saturday 21 March 2015

श्रद्धा के नाम पर नेपाल में मार डाले जाते हैं हजारों जानवर


भारत में जहां गौमांस (बीफ) पर बैन की मांग पर बहस छिड़ी है, वहीं पड़ोसी देश नेपाल में हजारों गायों और दूसरे मवेशियों की बलि दे दी जाती है। नेपाल में हर साल नवंबर में गढ़िमाई पर्व में प्रथा के नाम पर लाखों जानवरों को मारा जाता है। हर पांच साल में एक बार आयोजित होने वाले इस पर्व में गाय, भैंस, बकरी, भेड़ सहित कई अन्य पशुओं की बलि दी जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी-देवता खुश होते हैं और बदले में समृद्धि और ऐश्वर्य का वरदान देते हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, वन्य जीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन इसका कड़ा विरोध करते हैं लेकिन इसके बावजूद हजारों की संख्या में पशुओं-पक्षियों को मार डाला जाता है। मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, बलि के बाद इन जानवरों के सिर जमीन में गाड़ दिए जाते हैं, जबकि उनकी खाल व्यापारियों को बेची जाती है। काठमांडू से करीब 100 किलोमीटर दूर बारा जिले में होने वाले इस पर्व में पिछली बार (साल 2009 में) करीब 250,000 पशुओं को मारा गया था।
प्रथा का होता है विरोध
इतने बड़े पैमाने पर जानवरों को मारने की इस प्रथा का काफी विरोध भी होता है। पशुओं के हित में काम करने वाली संस्थाओं के अनुसार, यह क्रूर प्रथा है और इसे बंद किया जाना चाहिए।
ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल के निदेशक जयासिम्हा नुगूहल्ली ने इसके बारे में कहा, "जमीन पर बिखरा अथाह खून, दर्द से तड़पते जानवर और इस दृश्य को देखते छोटे बच्चे। यह काफी क्रूर है। हजारों श्रद्धालु जानवरों के खून से सने होते हैं। यहां तक कि कुछ श्रद्धालु जानवरों का खून भी पी रहे होते हैं।"
भारत में कई जगह ऐसी हैं, जहां पशु बलि पर प्रतिबंध है, वहां के लोग भी इसमें हिस्सा लेने के लिए नेपाल पहुंचते हैं।











Source:bhaskar.com